खराबे का मुआवजा नहीं देना चाहती किसान विरोधी सरकार : कुमारी सैलजा
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खराबे का मुआवजा नहीं देना चाहती किसान विरोधी सरकार : कुमारी सैलजा

खराबे का मुआवजा नहीं देना चाहती किसान विरोधी सरकार : कुमारी सैलजा

खराबे का मुआवजा नहीं देना चाहती किसान विरोधी सरकार : कुमारी सैलजा

- एक लाख से अधिक किसानों की खरीफ की फसल खराब हुई

- डीसी कार्यालयों से आगे नहीं बढ़ रही फसल खराब होने की रिपोर्ट

चंडीगढ़। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन की किसान विरोधी सरकार किसानों को खरीफ की फसलों के खराबे का मुआवजा नहीं देना चाहती। प्रदेश में एक लाख से अधिक किसानों की कपास, धान समेत अन्य फसल खराब हुई, लेकिन विशेष गिरदावरी समेत अन्य रिपोर्ट जिलों तक ही अटकी हुई है। मुआवजा न देने के चक्कर में सरकार बहाना बना रही है कि उसके पास अभी तक डीसी कार्यालयों से रिपोर्ट नहीं पहुंची है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि खरीफ की फसल खराब होने पर 105828 किसानों ने कृषि विभाग में आवेदन कर मुआवजा मांगा है। इनमें वे किसान शामिल हैं, जिनकी फसलें बारिश व ओलावृष्टि से खराब हो गई। इन किसानों की फसल या तो पूरी तरह से चौपट हो गई या फिर उत्पादन कम हुआ है। 

कुमारी सैलजा ने कहा कि किसानों के विरोध से बचने के लिए प्रदेश सरकार ने विपक्ष के दबाव में विशेष गिरदावरी के आदेश तो दे दिए, लेकिन अभी तक इसकी पूरी रिपोर्ट सरकार के पास नहीं पहुंची है। किसान विरोधी सरकार के कारण पूरी रिपोर्ट जिलों में अफसरों की टेबल पर पड़ी है। सरकार मुआवजा देने के प्रति गंभीर नहीं है, इसलिए इन रिपोर्ट को मुख्यालय मंगवाने से बच रही है। क्योंकि, सरकार नहीं चाहती कि वह किसानों को किसी भी सूरत में मुआवजा राशि का भुगतान कर उन्हें बर्बाद होने से बचाए।

कुमारी सैलजा ने कहा कि इस बार फसलों में सबसे अधिक नुकसान हिसार, रेवाड़ी, फतेहाबाद, चरखी दादरी, भिवानी, सिरसा, झज्जर, महेंद्रगढ़, जींद जिले के किसानों को हुआ। इसके अलावा कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, यमुनानगर, रोहतक, करनाल, गुड़गांव, सोनीपत में भी बारिश व ओलावृष्टि से फसलें चौपट हो गई। इन किसानों ने सरकार की हिदायतों के अनुसार मुआवजे के लिए आवेदन भी कर दिए हैं, जबकि विशेष गिरदावरी के दौरान फसल खराब होने की पुष्टि भी हो चुकी है। इसके बावजूद सरकार उन्हें मुआवजा देने के मूड में नहीं है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि फसलों के खराबे की वजह से किसान आर्थिक तौर पर कमजोर हुआ है। उसके पास रबी की फसलों में खाद, पानी, कीटनाशक तक के लिए रुपये नहीं बचे हैं। उसकी आस सरकार से मिलने वाली मुआवजा राशि बनी हुई है। लेकिन, सरकार किसान को लगातार कर्जवान बनाए रखना चाहती है, ताकि वह अपनी मांगों के लिए कभी भी सरकार के सामने खड़ा न हो सके।